शक्ति-स्वरूपा बेटी हो
...आनन्द विश्वास
परी-लोक में मत भरमाओ,
आज देश के
बचपन
को।
परी-लोक
सा देश बनाकर,
दे दो
नन्हें बचपन को।
क्यों
कहते हो स्वर्ग-लोक में,
निर्मल गंगा
बहती है।
गंगा
को निर्मल कर कह दो,
ऐसी गंगा
होती है।
बेटा-बेटा
कह बेटी को,
मत भरमाओ बेटी को,
उसको
उसका हक दे, कह दो
तुम
शक्ति-स्वरूपा बेटी हो।
ये करना है,
वो कर देंगे,
मत
भरमाओ जन-जन को।
जो
करना है कर दिखलाओ,
आज देश
के जन-गण को।
...आनन्द
विश्वास
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24-09-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2108 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
बाल -उपन्यास बहादुर बेटी के प्रकाशन पर बहुत बहुत हार्दिक मंगलकामनाएं!
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद, कविता जी।
Deleteआनन्द विश्वास