Wednesday, 16 September 2015

छोटे-छोटे बच्चे हम हैं

छोटे-छोटे बच्चे हम हैं
...आनन्द विश्वास
छोटे-छोटे  बच्चे   हम  हैं,
काम  करें  हम  बड़े-बड़े।

हम   हैं  छोटे  चींटी  जैसे,
हाथी   हमसे    हारा   है।
आत्मशक्ति से ओत-प्रोत हैं,
सत्-पथ  हमको प्यारा है।
बड़े-बड़े  जो ना कर पाएं,
वो हम कर  दें  खड़े-खड़े।

हमने  दांत  गिने  शेरों के,
सूरज  हमने  निगला था।
नापे  तीनों  लोक हमीं ने,
अहंकार  तब पिघला था।
हम कोमल काया वाले हैं,
किन्तु  हौसले   बड़े  कड़े।

अब तो हमने ठान लिया है,
घर-घर  अलख  जगाना है।
सबके कर तक पुस्तक पहुँचे,
सबको   हमें   पढ़ाना   है।
बेटा-बेटी  सब  समान  हैं,
हर  बच्चा  अब  लिखे-पढ़े।

अपने घर को,गली नगर को,
सबको  स्वच्छ   बनाना  है।
गंगा  यमुना सब  नदियों में,
निर्मल   नीर    बहाना   है।
ऐसा  जतन  हमें  करना है,
कचड़ा नदियों में नहीं पड़े।

...आनन्द विश्वास
चित्र गूगल से साभार

2 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा 17-09-2015 को चर्चा मंच के अंक चर्चा - 2101
    में की जाएगी
    धन्यवाद

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  2. शानदार प्रस्तुति ...

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