अगर हौसला तुम
में है
तो,
कठिन नहीं है कोई काम।
पाँच-तत्व के शक्ति-पुंज तुम,
सृष्टी के अनुपम पैगाम।
तुम में जल
है, तुम में थल है,
तुम में वायु
और गगन
है।
अग्नि-तत्व से ओत-प्रोत
तुम,
और सुकोमल मानव मन है।
संघर्ष आज, कल फल देगा,
धरती की शक्ल
बदल देगा।
तुम चाहो तो
इस धरती पर,
सुबह सुनहरा कल होगा।
विकट समस्या जो भी हो,
वह उसका निश्चित
हल देगा।
नीरस जीवन में भर उमंग,
जीवन जीने का बल देगा।
सागर की लहरों
से ऊँचा,
लिये हौसला बढ़
जाना है।
हो कितना भी घोर अँधेरा,
दीप ज्ञान का प्रकटाना है।
उथल-पुथल हो भले सृष्टि में,
झंझावाती तेज पवन हो।
चाहे बरसे अगन
गगन से,
विचलित नहीं तुम्हारा मन हो।
पतझड़ आता है आने दो,
स्वर्णिम काया
तप जाने दो।
सोना तप कुन्दन
बन जाता,
वासन्ती रंग छा जाने दो।
संधर्षहीन जीवन
क्या जीवन,
इससे तो बेहतर
मर जाना।
फौलादी ले नेक
इरादे,
जग को बेहतर
कर जाना।
मानव-मन सागर से गहरा,
विष, अमृत दोनों
हैं घट
में।
विष पी लो विषपायी बनकर,
अमृत-कलश बाँट दो जग में।
-आनन्द विश्वास
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