Tuesday, 5 January 2016

*मेरे पापा सबसे अच्छे*

बालकों में अच्छे संस्कार सिंचन
का
एक प्रयास
और...
*मेरे पापा सबसे अच्छे*
पुस्तक
में
बालोपयोगी
बाल-कविताओं
और
बाल-गीतों
का समावेश किया गया है।
इस संकलन में 25 बाल-कविताएँ हैं।
जिसे
उत्कर्ष प्रकाशन, मेरठ
से
प्रकाशित किया गया है।
इस पुस्तक की प्रस्तावना कुछ इस प्रकार है।
प्रस्तावना
कविता मन से निकलकर मन तक पहुँचती है और विशेषकर कोमल बाल-मन पर तो अपना विशेष प्रभाव छोड़ती ही है। अच्छी शिक्षात्मक ज्ञान-वर्धक बातों को और संस्कारों को कविताओं और गीतों के माध्यम से कोमल बाल-मन तक सहज रूप में पहुँचाया जा सकता है।
साथ ही, बालक सरल भाषा में लिखी गई गेय कविताओं और गीतों को आसानी से याद भी कर लेते हैं, वे उन्हें चलते-फिरते गुनगुनाते भी रहते हैं और उनका अपने दैनिक जीवन में अनुकरण भी करते हैं।
इस पुस्तक में कविताओं और गीतों के माध्यम से अच्छी-अच्छी जीवनोपयोगी और ज्ञान-वर्धक बातों को बच्चों के कोमल बाल-मन तक पहुँचाने का प्रयास किया गया है। साथ ही बच्चों के मन में अच्छे संस्कारों के सिंचन का प्रयास भी किया गया है।
*मेरे पापा सबसे अच्छे* कविता-संकलन में, मैंने अपनी ढ़ेर सारी सुन्दर-सुन्दर कविताओं में से बालोपयोगी, रोचक और मनभावन बाल-कविताओं को चुना है और ये ऐसी बाल-कविताएँ हैं जिन्हें बच्चे सहज में ही गुनगुना सकेंगे और उनका अनुकरण भी कर सकेंगे।
*एप्पल में गुण एक हजार* कविता में एप्पल का सेवन करने से होने वाले अनेकानेक लाभों का वर्णन किया गया है तो *केला खाओ, हैल्थ बनाओ* कविता में केला खाने के महत्व को बताया गया है। *फल खाओगे, बल पाओगे* में फलों के महत्व को बताया गया है या फिर *काजू किशमिश और मखाने, शक्ति-पुंज हैं जाने माने।* के माध्यम से बालकों को सूखे-मेवे आदि खाने के लिए प्रेरित किया गया है।
आधुनिक परिवेश में स्वास्थ्य की दृष्टि से, इन सभी बातों का ज्ञान बच्चों को होना अत्यन्त आवश्यक भी हैं।
*चलो बुहारें अपने मन को* कविता, मन से घृणा और द्वेष को दूरकर, प्रेम और भाई-चारे का सन्देश देती है तो *चलो करें जंगल में मंगल* बच्चों को प्रकृति के साथ दो पल बिताने और उसके साथ अपने मन की बातों को बतियाने की ललक पैदा करती है और उसके संरक्षण का सन्देश देती है।
  *बन सकते तुम अच्छे बच्चे* कविता में बच्चों के मन में अच्छे संस्कार-सिंचन का प्रयास है तो कहीं स्वच्छता और ध्यान-योग को जीवन में अपनाने की प्रेरणा है।
*मेरी गुड़िया छैल-छबीली*, *मेरा गुड्डा मस्त कलन्दर* जैसी कविताएँ बाल-सुलभ क्रीड़ाओ की अनुभूति करातीं हैं तो *आओ चन्दा मामा आओ* और *सूरज दादा कहाँ गए तुम* चाँद-सितारों के साथ आत्मीय सम्वादों से परिपूर्ण है। *मेरे जन्म दिवस पर* कविता बच्चों के मन में पुस्तक पढ़ने की ललक जगाती है। 
इस पुस्तक की हर कविता सभी वर्ग के पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। बालकों के कोमल बाल-मन में अच्छे संस्कारों का सिंचन कर उन्हें एक नई दिशा देगी।
ऐसा मेरा विश्वास है, अस्तु। 
-आनन्द विश्वास
सी-85, ईस्ट एण्ड एपार्टमेंटस्
न्यू अशोक नगर मैट्रो स्टेशन के पास
मयूर विहार फेज़-1 (एक्टेंशन)
नई दिल्ली- 110 096
मोः 09898529244, 7042859040
E-mail: anandvishvas@gmail.com

https://drive.google.com/open?id=0B3yIfk194zUmNF9uZnUwaWdLckk

3 comments:

  1. रोचक पुस्तक...
    हार्दिक बधाई ...

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  2. अच्छा प्रयास.

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