मछली कैसे जीती
जल में,
टीचर से पूछूँगी
कल मैं।
जीना चाहूँ जो
मैं जल में,
जान सकूँगी उसका हल मैं।
जो ऐसा सम्भव हो पाया,
तो मैं घूमूँगी जल-थल में।
मछली के संग
होगी यारी,
दोस्त बनेंगे ढ़ेरों पल
में।
सात
समुन्दर पार करूँगी,
छू पाऊँगी सागर-तल मैं।
सागर का अनमोल,खजाना,
जा देखूँगी अपने बल, मैं।
...आनन्द विश्वास
No comments:
Post a Comment