आरती का आकाश-भ्रमण
यह कहानी मेरे बाल उपन्यास
बहादुर बेटी
से ली गई है।
...आनन्द
विश्वास
स्कूल की पढ़ाई और होम-वर्क पूरा
करने के बाद आरती यूँ तो अक्सर अपने मित्रों के साथ सोसायटी के कम्पाउण्ड में ही
थोड़ा बहुत साइकिल चला लिया करती थी या फिर अपने साथियों के साथ कोई छोटे-मोटे
खेल, खेल लिया करती थी।
पर आज उसका मन कुछ उदास था अतः उसने
आकाश में भ्रमण करने का मन बनाया। इस विषय में और अधिक जानकारी लेने के लिये उसने
रॉनली से परामर्श करना उचित समझा।
उसने अपने पास में रखे हुये सिक्के
को ऐक्टीवेट किया और फिर उसके लाल बटन दबाकर रॉनली से सम्पर्क किया। सामने से आवाज
आई-“बोलो आरती, कैसा है। सब कुछ ठीक-ठाक है ना।”
“हाँ रॉनली, सब कुछ ठीक है अपने
हाल-चाल सुनाओ। मेरा आज आकाश में भ्रमण करने का मन कर रहा है। इसके लिये मुझे क्या
करना होगा।” आरती ने रॉनली से पूछा।
“आरती, तुम अपनी ऐनी ऐंजल को
ऐक्टीवेट करलो और उसे अपने साथ में सूक्ष्म अदृश्य रूप में रख लेना। वह तुम्हारा
पूरा मार्गदर्शन करती रहेगी। चिन्ता की कोई बात नहीं है।” रॉनली
ने आरती को परामर्श दिया।
“ठीक है, रॉनली। अब मैं
आकाश-भ्रमण से लौटकर आने के बाद अपने अनुभव तुम्हारे साथ शेयर करूँगी।” आरती ने कहा।
इसके बाद आरती ने ऐंजल ऐनी के सीधे
हाथ के अँगूठे को अपने सीधे हाथ के अँगूठे से स्पर्श करके उसे ऐक्टीवेट कर लिया और
उसे अपने आकाश-भ्रमण की इच्छा बता दी।
ऐनी ऐंजल ने कुछ ही क्षणों में
आकाश-भ्रमण की सम्पूर्ण व्यवस्था करके आरती से कहा-“चलो आरती, अब
हम अपने इस बाल-यान में बैठकर आकाश-भ्रमण करने के लिए चल सकते हैं। यह बाल-यान
हमें सम्पूर्ण ब्रह्मांड का भ्रमण कराने में समर्थ है।”
और ऐसा कहते ही फूलों से सजा हुआ एक
सुन्दर बाल-यान आरती के सामने आ गया। आरती बाल-यान में बैठने ही जा रही थी कि
दरवाजे पर डोरबैल बजी। मम्मी ने दरवाजा खोला तो उन्होंने अपने सामने मानसी को खड़ा
हुआ पाया, जो आरती को खेलने के लिये बुलाने आई थी। आरती को कहीं जाते हुये देखकर
मानसी ने आरती से पूछा-“आरती, तारे कईं जवानुँ छे, खरो।”
“हाँ मानसी, आज मेरा मन कुछ उदास हो रहा है अतः मैं आकाश में भ्रमण करने के
लिए जाना चाहती हूँ।” आरती ने कहा।
“आरती, हूँ पण तारी साथे कम्पनी
आपूँ तो सारो रहशे न।” मानसी ने भी आकाश में भ्रमण करने की
अपनी इच्छा जताई।
वैसे तो आरती अकेले ही आकाश-भ्रमण
करने के लिये जाना चाहती थी पर वह मानसी के आग्रह को न टाल सकी। उसके मन में विचार
आया कि अब क्यों न हम शर्लिन, सार्थक और भास्कर को भी अपने साथ ले चलें, तो कितना
अच्छा रहेगा।
अतः आरती ने मानसी से कहा-“हाँ मानसी, अगर तुम्हारी इच्छा है तो तुम भी हमारे साथ चल सकते हो। तो फिर
ऐसा करते हैं कि शर्लिन, सार्थक और भास्कर
को भी बुला लेते हैं। वे सब भी अगर अपने साथ चलेंगे तो और भी अच्छा रहेगा।”
“सरस, बहु मज़ा आवसे आरती।” मानसी ने खुश होकर कहा।
“मानसी, तुम शर्लिन, सार्थक
और भास्कर से सम्पर्क कर लो और यदि उनकी भी इच्छा हो तो उन्हें भी बुला लाओ।” आरती ने मानसी से निवेदन किया।
और कुछ ही
समय के अन्दर मानसी, शर्लिन, सार्थक और भास्कर
तैयार होकर आरती के पास आकाश में भ्रमण करने के लिये आ चुके थे।
ऐनी ऐंजल की ओर देखकर आरती कुछ कहने
ही जा रही थी, तब तक तो ऐनी ऐंजल ने आरती से हँसते हुए कहा-“आरती, इस बाल-यान में जगह की कोई चिन्ता मत करो, आवश्यकता के अनुसार इस
बाल-यान का आकार अपने आप बढ़ता-घटता रहता है। इसमें तो हजारों बच्चे एक साथ बैठकर
भ्रमण कर सकते हैं।”
“अरे वाह, तब तो बहुत ही अच्छा है
ये बाल-यान।” आरती को आश्चर्य भी हुआ और खुशी भी हुई।
शर्लिन, सार्थक और भास्कर ने तो ऐनी
ऐंजल को पहली बार ही देखा था। ऐंजल से परिचय कर बच्चों को अच्छा भी लगा और आश्चर्य
भी हुआ। साथ ही, आरती के साथ आकाश में भ्रमण करने को लेकर मानसी, शर्लिन, सार्थक
और भास्कर को रोमांच भी हो रहा था और मन में गुदगुदी भी हो रही थी।
कुछ ही समय में आरती के सभी मित्र
बाल-यान में बैठ चुके थे और अब वे आकाश मार्ग की ओर जाने के लिये तैयार थे।
ऐंजल ने बाल-यान के चारों ओर अदृश्य
पारदर्शी आवरण बना दिया था जिस पर कि बाहरी वायु-मण्डल का कोई भी प्रभाव न पड़े और
सभी लोग पूर्ण रूप से सुरक्षित बने रहें।
शर्लिन और भास्कर की इच्छा पहले
धरती पर ही भ्रमण करने की थी। मसलन वे देखना चाहते थे कि धरती से कुछ ऊँचाई पर
पहुँचकर अपनी सोसायटी कैसी दिखाई देती है, अपना स्कूल कैसा दिखाई देता है, बाज़ार
और शहर कैसे दिखाई देते हैं और बड़े-बड़े ऊँचे-ऊँचे बहु-मंज़िला मकान कैसे दिखाई
देते हैं। सड़क पर चलते हुये आदमी, कार और बस कैसे दिखाई देते हैं।
उन्होंने सुना था कि ऊपर से देखने
पर आदमी बिलकुल चींटी जैसे छोटे-छोटे दिखाई देते हैं और सोसायटी, घर, बाज़ार, सड़क
सब कुछ तो ड्राइंग-पेपर पर बनी हुई ड्राइंग जैसे दिखाई देते हैं। ज्यादा ऊपर जाने
पर तो पक्षी भी दिखाई नहीं देते हैं। वहाँ पर तो सिर्फ बादल ही बादल दिखाई देते
हैं और सिर्फ बादलों को देखने में उनकी कोई उत्सुकता या जिज्ञासा नहीं थी। अतः
उनकी इच्छा धरती से कुछ ही ऊँचाई से धरती का नज़ारा देखने की थी।
पर संकोच-वश वे कुछ भी न कह सके और
उन्होंने अपने मन की बात को मन में रखना ही उचित समझा।
लेकिन ऐनी ऐंजल को उनके मन की बात
समझने में जरा भी देर न लगी अतः उसने भास्कर, मानसी और शर्लिन की ओर देखा और फिर
मुस्कुराते हुए कहा-“भास्कर, क्यों न हम लोग सबसे पहले धरती से कुछ ही ऊँचाई पर पहुँचकर धरती
के मनोरम और सुन्दर दृश्यों का अवलोकन करें, तो कैसा रहेगा।”
भास्कर भी तो यही चाहता था। वह अपने
मन की इच्छा को पूरा होते हुए देखकर खुशी के मारे उछल ही पड़ा और उत्साहित होकर
बोला-“हाँ बिलकुल ठीक रहेगा और मजा भी आएगा।”
शर्लिन और सार्थक ने भी भास्कर की
बात का समर्थन किया। आरती और मानसी को भी यह प्रस्ताव उचित लगा।
कुछ ही समय में इनका बाल-यान घर के
बाहर निकल आया। पर ये क्या, घर का दरवाजा खोले बिना ही ये सब लोग दीवार के पार
निकल आये। दरवाज़ा और दीवार, सब कुछ तो इनके लिये पार-दर्शी भी थे और उसके आर-पार
ये लोग आसानी से आ जा भी सकते थे। दीवार, पेड़ और बिल्डिंग, सब कुछ इनके लिये कोई
रुकावट नहीं थे। सभी कुछ तो पार-दर्शी था अब इनके लिये।
और अब इन बच्चों का बाल-यान सोसायटी
के गार्डन के ऊपर था। सोसायटी के गार्डन में कुछ बच्चे खेल रहे थे, कुछ झूले खाली
पड़े थे और कुछ लोग लॉन में बैठे हुये थे।
गेट से आती हुई कार बच्चों के
खिलौने वाली कार जैसी दिख रही थी जो धीरे-धीरे रेंगती हुई सोसायटी के मेन गेट से
प्रवेश कर रही थी। सबसे अधिक मजे की बात तो ये थी कि ये सभी बच्चे अपने-अपने घरों
को देख रहे थे और घर का कौन-सा सदस्य क्या कर रहा है ये जानने का प्रयास कर रहे
थे।
आरती का बाल-यान अब उनके स्कूल के
ऊपर था। स्कूल की छुट्टी होने के कारण चहल-पहल तो न के बराबर ही थी पर स्कूल के
गेट के सामने सीताराम हलवाई की दुकान पर तो भीड़ आज भी उतनी ही थी। स्कूल की
छुट्टी का उसके ऊपर कोई विशेष प्रभाव नही था। वह ताजा-ताजा गरमागरम समोसे बना रहा
था। जलेबी और फाफड़ा तो वह पहले ही तैयार कर चुका था।
गरमागरम समोसे और जलेबी हों और
बच्चों का मन काबू में रह सके, ऐसा तो कभी सोचा भी नहीं जा सकता। समोसों को देखकर
मानसी का बाल-मन बोल ही पड़ा-“जोओ, केटला सरस गरमागरम समोसा
छे। मने तो समोसा बहु फाबे छे अने फाफड़ा, जलेबी पण। आरती, चालो आपणे बद्धा खावा
माटे चलिये।”
आरती और सार्थक को हँसी भी आई और
अच्छा भी लगा। बाल-संसद में यह प्रस्ताव सर्व-सम्मति से पारित हो गया। विरोध का तो
कोई प्रश्न हीं नही था। सभी बच्चों का मन था कि सीताराम हलवाई की दुकान से नाश्ता
लेकर उसे पैक करा लिया जाय और फिर ऊपर आकाश में बादलों के बीच पहुँचकर नाश्ता करने
का आनन्द लिया जाय, तो कितना अच्छा रहेगा।
आरती के दिशा-निर्देश से ऐंजल ने
बाल-यान को सीताराम हलवाई की दुकान से कुछ दूर सुरक्षित स्थान पर उतार लिया, पर यह
बाल-यान अभी भी अन्य सभी लोगों के लिये तो अदृश्य ही था और बाल-यान में बैठे हुए
सभी बालक भी।
सभी बच्चों ने अपने पास के
पॉकेट-मनी के पैसे इकठ्ठे करके, भास्कर और मानसी को नाश्ता लाने के लिये भेज दिया।
बाल-यान से उतरते ही भास्कर और
मानसी दोनों, सभी लोगों के लिये दृश्य हो गये थे। अब कुछ ही समय में भास्कर और
मानसी सीताराम हलवाई की दुकान पर पहुँच चुके थे।
सीताराम हलवाई की दुकान से नाश्ता
पैक कराने के बाद भास्कर और मानसी को सड़क पार करते हुए तो वहाँ पर मौजूद सभी
लोगों ने देखा था पर बाल-यान में बैठते ही दोनों बालकों को वे लोग न देख सके।
क्योंकि वे बाल-यान में प्रवेश करते ही अदृश्य हो गये थे।
वहाँ उपस्थित सभी लोग कुछ भी न समझ
सके। बच्चों का अचानक उनकी आँखों के सामने से ओझल हो जाना, सभी के बीच चर्चा का
विषय बनकर रह गया। लोगों ने इधर-उधर देखा भी, ढूँढ़ा भी पर कुछ भी पता न चल सका और
ना ही बाल-यान के विषय में किसी को कोई जानकारी हो मिल सकी।
बाल-यान आकाश में ऊपर की ओर गति कर
रहा था। तभी बालकों को छोटी-छोटी चिड़ियों का एक झुण्ड बाल-यान की ओर आता हुआ
दिखाई दिया। शर्लिन को लगा कि ये छोटी-छोटी चिड़ियाँ तो बाल-यान से टकरा कर मर ही
जाऐंगी। उसने जल्दी से ऐनी ऐंजल से कहा-“ऐंजल बचाओ, जल्दी से
बचाओ, अपने बाल-यान को। देखो तो सही अपना बाल-यान सामने से आती हुई चिड़ियों के
झुण्ड से टकराने वाला है और देखो तो सही बेचारी निर्दोष चिड़ियाँ तो मर ही जाऐंगी।”
“नहीं शर्लिन, ऐसा कुछ भी नहीं होगा। हमारा बाल-यान, हम और सभी चिड़ियाँ
पूर्णरूप से सुरक्षित हैं। अभी हम सब लोग पार-दर्शी रूप में हैं अतः ये सभी
चिड़ियाँ हमारे शरीर से आर-पार होती हुई निकलकर चली जाऐंगी। किसी को कोई भी अहित
या नुकसान नहीं होगा।” ऐनी ऐंजल ने शर्लिन को समझाया।
और कुछ ही देर में चिड़ियों का
विशाल झुण्ड बाल-यान के आर-पार निकलकर चला गया। सभी बच्चों के मन में गुदगुदी भी
हुई और उन्हें मज़ा भी आया। बस सभी को ऐसा महसूस हुआ कि कोई छाया-सी गति कर रही है
और चिड़ियों को तो पता चलने का कोई प्रश्न ही नहीं था।
और ऐसा ही एक बार फिर से हुआ। जब एक
विशालकाय ड्रीमलाइनर विमान बाल-यान की ओर बढ़ा चला आ रहा था। सामने से आते हुए
ड्रीमलाइनर विमान को देखकर, बच्चों के मन में एक गुदगुदी सी होने लगी। और जैसे ही
विमान बाल-यान से पसार होते हुए निकला, सभी बच्चों के अन्दर फुरफुरी सी होने लगी,
साथ ही सभी बच्चों को बड़ा मजा भी आया।
अब तो बाल-मन में आतुरता थी, यह
जानने की, कि कैसा होता है हवाई जहाज अन्दर से, कैसी होती हैं उसकी सीट-बैल्ट और
कैसी होतीं हैं एयर होस्टेज और उनका विनम्र आचरण।
“क्या हम सभी लोग हवाई जहाज के
अन्दर जाकर सब कुछ देख सकते हैं, ऐनी।” आरती ने ऐनी ऐंजल से
जानना चाहा।
“हाँ आरती, हवाई जहाज के अन्दर
जाकर सब कुछ देखा तो जा सकता है पर हम वहाँ सीटों पर नहीं बैठ सकेंगे। क्योंकि
पहले तो वे सीटें खाली ही नहीं होंगी और खाली हों तब भी, जब हमने विमान का टिकट ही
नहीं लिया है तो फिर हमारा उन सीटों पर बैठना अनुचित होगा और यह व्यवहारिक भी नहीं
रहेगा।” ऐनी ऐंजल ने आरती को समझाया।
पर आरती के कुछ भी कहने से पहले ही
शर्लिन ने अपने मन की बात को स्पष्ट करते हुए कहा-“हाँ ऐनी, कोई
बात नहीं है। हम सभी खड़े-खड़े ही अन्दर का दृश्य देख लेंगे और बहुत ही जल्दी बाहर
आ जाऐंगे। किसी को कोई परेशानी भी नहीं होने देंगे।”
और इतनी देर में तो तेज गति से आता
हुआ ड्रीमलाइनर विमान बाल-यान से पसार होकर काफी दूर तक जा चुका था।
ड्रीमलाइनर विमान को अत्यन्त तेज
गति से दूर तक जाते हुए देखकर भास्कर ने उदास मन से कहा-“अब तो जहाज बहुत दूर निकल चुका है। अब तो उसके पास तक पहुँच पाना या उसे
अन्दर से देख पाना हम सबके लिए सम्भव ही नहीं हो सकेगा।”
“नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं है,
भास्कर। अपने इस बाल-यान की गति उस ड्रीमलाइनर विमान की गति से कई हजार गुनी अधिक
होती है। अपना बाल-यान तो मन की गति से भी तेज गति से गति करता है। हमें उस
ड्रीमलाइनर के पास तक पहुँचने में पल भर भी नहीं लगेगा।” ऐनी
ऐंजल ने भास्कर को बताया।
और कुछ ही क्षणों में सभी बच्चे ऐनी
ऐंजल के साथ अदृश्य रूप में ड्रीमलाइनर
विमान के अन्दर प्रवेश कर चुके थे। पर ये क्या, ड्रीमलाइनर विमान के अन्दर के
भयंकर दृश्य को देखकर तो सभी बच्चे और ऐनी ऐंजल हैरान ही रह गये।
ड्रीमलाइनर विमान में एक आदमी एके
47 राइफल लिए हुए विमान के आगे के भाग में खड़ा हुआ था और दूसरा आदमी अनेक आधुनिक
हथियारों से लैस होकर विमान के पीछे के भाग में खड़ा हुआ था। तीसरा आदमी विमान के
कॉकपिट में महिला पायलेट की कनपटी पर एके 47 लगाए हुए था और उसे अपनी इच्छा के
अनुसार विमान को ले जाने के दिशा-निर्देश दे रहा था। दोनों एयर-हॉस्टेज रस्सी से
बंधी हुई विमान के पीछे के भाग में पड़ी हुईं थीं। कुल तीन आदमी थे हाईजैकर
आतंकवादी।
ड्रीमलाइनर विमान हाई-जैक हो चुका
था। आतंकवादियों ने विमान को हाई-जैक कर लिया था। सामने खड़े हुए आतंकवादी ने
यात्रियों को सम्बोधित करते हुए कहा-“आपका प्लेन हाई-जैक
हो चुका है। कोई भी यात्री अपनी सीट से जरा भी हिलने की कोशिश न करे और सभी यात्री
अपनी आँखें बन्द करके अपनी सीट पर ही बैठे रहें वर्ना उन्हें अपनी जान से हाथ धोना
पड़ेगा।”
विमान के हाई-जैक होने की सूचना भी एयरपोर्ट
अथॉरिटीज़ तक पहुँचा दी गई थी। हाईजैकर आतंकवादियों ने अपनी माँग भी सरकार के
सामने रख दीं थी। सरकार की ओर से भी समस्या का हल ढ़ूँढने के प्रयास जारी थे।
कैबिनिट की आपातकालीन बैठक भी बुलाई गई थी।
जब आरती और उसके अन्य साथियों को
पता चला कि इस ड्रीमलाइनर विमान में तो देश के प्रधानमंत्री और एक उच्च-स्तरीय
प्रतिनिधि मण्डल भी यात्रा कर रहा है। तब तो समस्या और भी अधिक गम्भीर हो गई थी।
अब तो आरती के सामने यह ज्वलन्त समस्या थी कि वह किस प्रकार से इस ड्रीमलाइनर
विमान को हाईजैकर आतंकवादियों से मुक्त कराए।
तब आरती ने ऐनी ऐंजल से पूछा-“ऐनी, मुसीबत में फंसे हुए पीएम और उच्च-स्तरीय प्रतिनिधि मण्डल के साथ
ड्रीमलाइनर विमान को हम इन हाईजैकर आतंकवादियों से कैसे मुक्त करा सकते हैं। क्या
यह सम्भव है।”
“हाँ सब कुछ सम्भव है, हम सब
मिलकर क्या नहीं कर सकते हैं। असम्भव शब्द तो हमारे शब्द-कोश में है ही नहीं।
हमारे लिए कुछ भी असम्भव नही है।” ऐनी ऐंजल ने कहा।
“तो फिर ऐनी, इन हाईजैकर्स से
ड्रीमलाइनर को मुक्त कराने के लिये हमें क्या करना होगा।”
आरती ने ऐनी ऐंजल से पूछा।
“आरती, हाँलाकि रॉनली ने तुम्हें
नहीं बताया है फिर भी मैं तुम्हें बताती हूँ कि तुम अपने चमत्कारी सिक्के को
एक्टीवेट करके यदि उसके हरे बटन को दबाओगे, तो तुम्हें जिस भी चीज की आवश्यकता
होगी, तुम उसे मँगा सकते हो। हरे बटन को दबाकर तुम नीटा-रेज़ (नीटा-किरणों) की पिस्टल
मँगा लो। इस पिस्टल की गोली में नीटा-रेज़ होती हैं जिसकी गोली लगने से आदमी मरता
नहीं है केवल बेहोश हो जाता है और आठ-दस घण्टे तक उसे होश नहीं आ सकता है। यह
पिस्टल तुम्हारे लिए उपयोगी हो सकेगी।” ऐनी ऐंजल ने आरती को
सुझाया।
“पिस्टल से मुझे क्या करना होगा,
ऐनी।” आरती ने पूछा।
“आरती, मैं तुम्हें तीनों
आतंकवादियों से अदृश्य कर दूँगी। तब तुम विमान में पीछे के भाग में खड़े हुए
आतंकवादी को गोली मार देना और साथ में एक घूँसा भी मार देना। इससे विमान के यात्री
यह समझेंगे कि इस लड़की के घूँसा लगने से आतंकवादी बेहोश हो गया है। ऐसे ही आगे
खड़े हुए आतंकवादी को भी तुम बेहोश कर देना। अन्त में विमान की केबिन में जाकर
तीसरे आतंकवादी को भी गोली मारकर बेहोश कर देना। इसके बाद तुम विमान में यात्रा कर
रहे दो-तीन नव युवकों की सहायता से उन एयर होस्टेज की रस्सी खुलवा देना, जिन्हें कि
आतंकवादियों ने बाँधकर विमान के पीछे के भाग में डाला हुआ है। फिर उन्हीं रस्सियों
से तुम तीनों आतंकवादियों को बँधवा देना। बाकी के सभी काम एयर होस्टेज, सिक्योरिटी
स्टाफ और एयरपोर्ट अथॉरिटीज़ के लोग अपने आप कर लेंगे।” ऐनी
ने आरती को सुझाया।
आरती ने तुरन्त ही अपने सिक्के को
एक्टीवेट करके नीटा-रेज़ (नीटा-किरणों) की पिस्टल की व्यवस्था करके ऐनी से कहा-“ठीक है ऐनी, अब मैं अपने मिशन पर चलती हूँ।”
“ओ के बैस्ट ऑफ लक, आरती।”
ऐनी ने आरती से कहा।
और कुछ ही देर में आतंकवादियों से
अदृश्य आरती ने विमान में पीछे के भाग में खड़े हुए मुस्तैद आतंकवादी को नीटा-रेज़
की पिस्टल से गोली दाग दी और साथ में एक जोरदार घूँसा भी जड़ दिया। गोली और घूँसा
लगते ही आतंकवादी तुरन्त ही बेहोश होकर ढ़ेर हो गया। इससे पहले कि आगे खड़ा हुआ
आतंकवादी कुछ समझ पाता, उसको भी गोली और घूँसा लग चुका था और वह भी बेहोश होकर
ढ़ेर हो चुका था।
विमान के सभी यात्री आरती की
गतिविधियों को देखकर आश्चर्यचकित भी थे और हैरान भी थे। आश्चर्यचकित तो इस बात से
थे कि दस-बारह साल की एक छोटी-सी बालिका का सिर्फ एक ही धूँसा लगते ही इतना बड़ा
आतंकवादी बेहोश कैसे हो गया। और कितनी तत्परता और कुशलता से एक छोटी-सी बालिका ने
सभी आतंकवादियों को पलक झपकते ही ढ़ेर कर दिया था। सभी यात्रियों में आरती का
फुर्तीलापन चर्चा का विषय बन गया था।
अब आरती ने कॉकपिट में जाकर तीसरे
आतंकवादी को भी गोली और धूँसा मारकर बेहोश कर दिया। तीसरे आतंकवादी के ढ़ेर होते
ही विमान के पायलेट और क्रू-मेम्बर्स ने अपने आप को सुरक्षित और नॉर्मल अनुभव
किया।
“अब आपका विमान और विमान के सभी
यात्री पूर्णरूप से सुरक्षित है। विमान के तीनों हाईजैकर आतंकवादी अब बेहोश हो
चुके हैं और वे आठ-दस घण्टे से पहले होश में आने वाले नहीं हैं। अच्छा होगा कि होश
में आने से पहले ही आप इन्हें ग्राउन्ड सिक्योरिटी को सौंप दें।” आरती ने महिला पायलेट को बताया।
“ए लॉट ऑफ थैंक्स टु यू, डियर
गाइज़। रियली, यू डिड ए वैरी डेन्जरस, डेयरिंग डीड। गॉड ब्लैस यू, स्वीट गर्ल।” विमान की महिला पायलेट ने कृतज्ञता प्रकट करते हुए आरती से कहा।
“नो थैंक्स मेडम, इट्स मॉय
ड्यूटी, व्हिच आई डिड।” आरती ने शालीनता के साथ कहा।
“गाइज़, मे आई नो योर गुड नेम,
प्लीज।” महिला पायलेट ने आरती से पूछा।
“यस श्योर, आई एम आरती एण्ड आई
विल सी यू लेटरऑन। बट एट प्रज़ेन्ट, आई एम इन हरी, प्लीज़।”
ऐसा कहते हुए आरती शीघ्रता के साथ केबिन से बाहर आ गई।
आरती ने विमान के कॉकपिट से बाहर
निकलकर आगे की सीटों पर बैठे हुए दो-तीन नव युवक यात्रियों से निवेदन करते हुए कहा-“भैया आप जरा विमान के पीछे के भाग में रस्सियों से बँधी हुईं अपने विमान
की दोनों एयर होस्टेज़ की रस्सी खुलवाने में हमारी सहायता करें।”
तीन-चार नव युवक तुरन्त ही सहायता
के लिये आगे आ गये। साथ ही प्रधानमंत्री का सिक्योरिटी का स्टाफ भी हरकत में आ
चुका था। देखते ही देखते, किसी ने एयर होस्टेज की रस्सी खोली तो किसी ने
आतंकवादियों की तलाशी लेकर उनके पास के सभी अत्यन्त आधुनिक हथियारों, एके 47
राइफल्स और हैन्ड-ग्रेनेड आदि को लेकर एयर होस्टेज की देख-रेख में सुरक्षित स्थान
पर रखवा दिए।
और फिर विमान के कॉकपिट में के बेहोश पड़े आतंकवादी
को घसीटकर बाहर निकाल कर तीनों आतंकवादियों को रस्सियों से कसकर बाँध दिया गया।
लोगों का सहयोग तो देखते ही बनता था। अब विमान पूर्णरूप से सुरक्षित था।
विमान की महिला पायलेट और क्रू
मेम्बरर्स ने एयरपोर्ट अथॉरिटीज़ को यह सूचना दी कि तीनों आतंकवादी अभी बेहोश हैं
और उन्हें रस्सियों से बाँधा हुआ है। अतः शीघ्र ही विमान के इमर्जेन्सी लैन्डिग की
व्यवस्था कर हमें लैन्डिग की अनुमति दें ताकि हम इन हाईजैकर आतंकवादियों को
ग्राउन्ड सिक्योरिटी फोर्स को सौंप सकें।
ड्रीमलाइनर विमान एयरपोर्ट पर सकुशल
लैन्ड कर चुका था। रस्सियों से बँधे हुए तीनों बेहोश हाईजैकर आतंकवादियों को और उनके
पास से मिले सभी हथियारों को ग्राउन्ड सिक्योरिटी फोर्स को सौंप दिया गया।
सिक्योरिटी फोर्स को सौंपने के बाद विमान की विधिवत् चैकिंग की गई और यह निश्चित
किया गया कि अब वह पूर्ण सुरक्षित है।
इसके बाद सभी यात्रियों को लेकर
ड्रीमलाइनर विमान अपने निर्धारित डेस्टीनेशन की ओर टेकऑफ कर गया। प्रधानमंत्री,
उच्च-स्तरीय प्रतिनिधि मण्डल और सभी यात्री अपनी निर्धारित यात्रा की ओर बढ़ गये
थे।
प्रघानमंत्री दस-बारह साल की उस
अज्ञात सहासिक बालिका से मिलकर उसे धन्यवाद देना चाहते थे। उन्होंने एयर होस्टेज़
से कहकर उसे बुलाकर उससे मिलने की इच्छा व्यक्त की। विमान में अज्ञात बालिका को देखा
गया, पर विमान में वह अज्ञात बालिका कहीं भी दिखाई नहीं दी। लोगों से पूछा भी गया,
पर कोई भी कुछ भी न बता सका, उस अज्ञात बालिका के बारे में।
विमान की महिला पायलेट से पूछने पर
उसने उस अज्ञात बालिका का नाम आरती बताया। पर पैसेन्जरर्स लिस्ट में आरती नाम का
कोई भी पैसेन्जर था ही नहीं।
तब आरती कौन थी, कहाँ से आई थी और
अब वह विमान में क्यों नहीं है। तब क्या उस अज्ञात बालिका ने अपना नाम गलत बताया
था या फिर विमान की सुरक्षा में कोई चूक हो गई।
सब कुछ एक रहस्य बनकर ही रह गया था,
सभी लोगों के लिये। पर सीसीटीवी कैमरे के फुटेज़ में तो वह साफ-साफ नज़र आ रही थी।
तब कहाँ गई आरती। और ड्रीमलाइनर विमान में से आरती का अचानक ही गायब हो जाना सभी लोगों
के लिए एक पहेली बनकर रह गया था।
ड्रीमलाइनर विमान के स्टाफ के लिए आरती का गायब
हो जाना मुश्किल का सबब बन कर रह गया था। एयर-हॉस्टेज और क्रू-मेंम्बर्स की समझ
में नहीं आ रहा था कि अब वे प्रघानमंत्री को जबाब दें भी तो क्या दें। कहाँ से
लाकर दें वे उन्हें, उस छोटी-सी बालिका आरती को, जिसने उन सभी को आतंकवादियों के
चंगुल से मुक्त कराया है। जबकि प्रघानमंत्री आरती से मिलना चाहते हैं, उसे धन्यवाद
देना चाहते हैं। विमान का कोना-कोना छान मारा था सभी ने, पर आरती कुछ भी पता न चल
सका था।
इधर आरती अपने बाल-यान में वापस आ
चुकी थी। आरती और उसके सभी मित्र आज बहुत खुश थे क्योंकि आज उन्होंने ऐनी ऐंजल की
सूज-बूझ और सहयोग से प्रधानमंत्री और उच्च-स्तरीय प्रतिनिधि मण्डल को ही नहीं
अपितु अनेकों परिवारों को भी दुःखी होने से बचा लिया था। साथ ही देश की प्रतिष्ठा
और मान-सम्मान को बचाकर प्रधानमंत्री और उनके ड्रीमलाइनर विमान को खूँख्वार
हाईजैकर आतंकवादियों से मुक्त करा दिया था।
सीताराम हलवाई की दुकान से पैक
कराया हुआ गरमागरम समोसे, जलेबी और फाफड़े आदि का नाश्ता भले ही ठंडा हो गया था,
पर बच्चों के गरमागरम जोश और उत्साह में वह सब कुछ भी बहुत ही अच्छा और स्वादिष्ट
लग रहा था। वैसे भी जब भूख लगी हो और मन खुशियों से अटा पड़ा हो तब तो सब कुछ
अच्छा ही अच्छा लगता है। भूख के आगे नाश्ते का कद बहुत बौना लग रहा था। सब सोच रहे
थे कि काश, थोड़ा और अधिक नाश्ता पैक कराया होता तो कितना अच्छा होता।
बाल-यान विशाल अन्तरिक्ष के मन-भावन
सुन्दर रमणीय भूरे-काले बादलों को चीरता हुआ आरती के नगर और घर की ओर प्रस्थान कर
चुका था। श्वेत-वर्ण वादलों पर सूर्य की किरणें कहीं तो स्वर्णिम आभा बिखेर रहीं
थी तो कहीं पर रक्तिम लाल-वर्ण की मनुहारी आभा के दुर्लभ दर्शन, सुलभ हो रहे थे।
आरती और उसके सभी मित्रों के आनन्द
और उत्साह को नापने के सभी पैमाने आज छोटे पड़ गए थे। निःस्वार्थ परोपकार और अच्छा
काम करने की खुशी सभी बालकों के अंग-अंग पर पसरी पड़ी थी। मन में उत्साह और उमंग का
समुन्दर हिलोरें मार रहा था।
जल्दी से जल्दी अपने घर पर पहुँचकर
सभी बालक अपने-अपने रोमांचकारी अनुभवों को अपने मम्मी-पापा और अपने बाल-मित्रों के
साथ शेयर करने को लालायत थे। अविस्मर्णीय अनुभवों का खजाना जो था, उनके पास।
दूसरे दिन देश-विदेश के लगभग सभी स्थान
के समाचारपत्र और इलैक्ट्रोनिक मीडिया प्रधानमंत्री और ड्रीमलाइनर विमान के अपहरण
और उसके छूटने की घटना से भरे पड़े थे।
आरती का साहसिक कदम सभी जगह पर
विशेष चर्चा का विषय बना हुआ था। आरती का नाम, फोटो और ड्रीमलाइनर विमान के अन्दर लगे
हुए सीसीटीवी कैमरों के द्वारा लिए गए वीडियो फुटेज ही सभी टेलीविज़न चैनल्स पर
चलाए जा रहे थे। क्योंकि वे ही तो उपलब्ध हो सके थे मीडिया को और सरकार को। इसके
अलावा और कुछ भी तो नहीं मालूम था किसी को भी, आरती के बारे में।
सभी लोग आरती के बारे में जानने के
इच्छुक थे, आरती से मिलने के इच्छुक थे और स्वयं प्रधानमंत्री श्री को भी उस साहसी
बालिका आरती से मिलने का इन्तजार था।
दूसरी ओर एयरपोर्ट अथोर्टीज़,
एयर-हॉस्टेज, क्रू-मेंम्बर्स और सिक्योरिटी स्टाफ को भी मंत्रालय की ओर से मिलने
वाले शो-कौज़ नोटिस का इन्तज़ार था। क्योंकि उन्हें भी तो अपने-अपने स्पष्टीकरण
पीएमओ को देना था। पीएम की सुरक्षा-व्यवस्था में होने वाली चूक और सेंध लगने का
कारण भी तो बताना था।
आरती की खोज अभी भी जारी थी और सभी
को आरती के इन्टरव्यू का इन्तजार था।
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आनन्द विश्वास
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