वाणी में मिसरी
तो घोलो, बोल-बोल को तोल रे।
मानव मर
जाता है लेकिन,
शब्द कभी
ना मरता है।
शब्द-बाण से आहत मन का,
घाव कभी
ना भरता है।
सौ-सौ बार सोचकर बोलो,बात यही अनमोल रे,
बुरा न देखो, बुरा सुनो ना, बुरा न बोलो बोल रे।
पांचाली के
शब्द-बाण से,
कुरूक्षेत्र
रंग लाल हुआ।
जंगल-जंगल भटके पांडव,
चीरहरण, क्या
हाल हुआ।
बोल सको तो
अच्छा बोलो, वर्ना मुँह मत खोल रे,
बुरा न देखो, बुरा सुनो ना, बुरा न बोलो बोल रे।
जो
देखोगे और सुनोगे,
वैसा ही
मन हो जायेगा।
अच्छी
बातें, अच्छा
दर्शन,
जीवन
निर्मल हो जायेगा।
अच्छा मन, सबसे अच्छा धन, मनवा जरा टटोल रे,
बुरा न देखो, बुरा सुनो ना, बुरा न बोलो बोल रे।
कोयल बोले
मीठी वाणी,
कानों
में रस घोले है।
पिहु-पिहु मन
मोर नाचता,
सबके मन
को मोहे है।
खट्टी अमियाँ खाकर मिट्ठू, मीठा-मीठा बोल रे,
बुरा न देखो, बुरा सुनो ना, बुरा न बोलो बोल रे।
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