Thursday, 11 March 2021

“नेकी कर दरिया में डाल”

नेकी
 कर  दरिया में  डाल,
चलता जा तू अपनी चाल।
        तेरे   आगे   तेरी   मंज़िल,
        पूछ न  तू पाँवों  के  हाल।
चौविस  घण्टे  चारों  याम,
आगे कदम बढ़ा हर हाल।
        ये जग ग़म से अटा पड़ा है,
        आँसू ले ले खुशी उछाल।
पग-पग काँटे, बीहड़ जंगल,
मुश्किल का हल स्वयं निकाल।
        गहन तिमिर घनघोर अँधेरा,
        तम के आगे जला मशाल।
जाति-पाँत से ऊपर उठकर,
अपना मन तू बना विशाल।
        तेरे   ही   तुझको   खींचेंगे,
        कभी न करना कोई मलाल।
संघर्षों  का  नाम  जिन्दगी,
संघर्षों  में  खुद  को  ढाल।
        सुख-दुःख तो आते जाते हैं,
        अपने आँसू  स्वयं सम्हाल।
-आनन्द विश्वास


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