Wednesday 2 March 2016

मंकी और डंकी

मंकी और डंकी
...आनन्द विश्वास
डंकी  के  ऊपर  चढ़  बैठा,
जम्प लगाकर मंकी, लाल।
ढेंचूँ - ढेंचूँ    करता   डंकी,
उसका  हाल  हुआ बेहाल।
पूँछ पकड़ता कभी खींचता,
कभी पकड़कर खींचे कान।
कैसी अज़ब  मुसीबत आई,
डंकी   हुआ   बहुत  हैरान।
बड़े  जोर  से  डंकी  बोला,
ढेंचूँ  -  ढेंचूँ ,  ढेंचूँ  -  ढेंचूँ।
खों - खों  करके  मंकी पूछे,
किसको खेंचूँ, कितना खेंचूँ।
डंकी जी   ने  सोची  युक्ति,
लोट  लगाकर जड़ी दुलत्ती,
खीं-खीं  करता मंकी भागा,
टूट  गई   उसकी   बत्तीसी।

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