टिम-टिम करते तारे कहते,
तुम भी बच्चो जग में
चमको।
सूरज से तेजस्वी
बनकर,
दूर भगाओ जग से तम को।
जहाँ कहीं भी
अंधकार हो,
दीप सरीखे जलकर
दमको।
तुम तो बच्चो शक्ति-पुंज हो,
कभी न छोटा आंको खुद को।
देखो, हँस कर फूल बुलाते,
बनकर खान गुणों की महको।
चीं-चीं करती चिड़ियाँ कहतीं,
उड़ो गगन में, हम से चहको।
नदियाँ, झरने, पर्वत, सागर,
अनगिन सीख सिखाते तुमको।
मन-मन्दिर को स्वच्छ बनाकर,
पावन कर लो अपने मन को।
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-आनन्द विश्वास