Tuesday, 30 June 2020

"गरमागरम समोंसे खाओ"


आओ बाबू, लाला आओ,
गरमागरम  समोंसे   खाओ।
काजू किसमिश, मेवे वाला,
धनियाँ मटर  पुदीना डाला।

आलू इसमें शिमले वाला,
डाला इसमें गरम मसाला।
मीठी  चटनी डली हुई  है,
तीखी  मिर्ची तली हुई है।

मस्त  कचौड़ी काँदे वाली,
खस्ता और मसाले वाली।
देशी घी की आलू टिकिया,
मन भाए तो खाना बिटिया।

छोले    और  भटूरे   खाओ,
बड़ा-पॉव  है  खाते  जाओ।
और  जलेबी  गरम-गरम  है,
इसके  आगे  सभी  नरम  है।

इसे  दूध  में  डालो, खाओ,
चटकारे  भी  भरते  जाओ।
दही बड़े  खुद आकर देखो,
मन भाए  तो  खाकर देखो।

देखो, इसकी लाइन बड़ी है,
सारी पब्लिक वहीं खड़ी है।
चटनी - पूरी,   पानी - पूरी,
बिन इसके तो चाँट अधूरी।

आओ,अब कुछ ठंडा लेलें,
पंजाबी  लस्सी   को  बोलें।
या  ठंडी  कुल्फी  अजमाऐं,
और  बरफ  के  गोले खाऐं।

पेट आपका जब  भर जाए,
नींबू  शर्बत  साथ  निभाए।
इडली,  ढोसा, पीज़ा, बर्गर,
पैक करा लो खाना घर पर।
-आनन्द विश्वास

Monday, 29 June 2020

"बन सकते तुम अच्छे बच्चे"


सुबह    सबेरे   जल्दी   जगते,
और  रात  को  जल्दी   सोते।
ऐसा    करते    अच्छे   बच्चे,
बन  सकते  तुम अच्छे बच्चे।
सिटअप करते, पुशअप करते,
और तेल  की  मालिश करते।
कसरत  करते  अच्छे  बच्चे,
बन सकते तुम अच्छे  बच्चे।
त्राटक   करते,  योगा   करते,
वॉकिंग करते, जौगिंग करते।
स्वास्थ्य सँवारें अच्छे  बच्चे,
बन  सकते तुम अच्छे बच्चे।
मात पिता गुरु  आज्ञा  मानें,
अच्छा  बुरा  स्वयं पहचानें।
सबको  भाते  अच्छे  बच्चे,
बन सकते तुम अच्छे बच्चे।
दुःख में सुख में सम रहते हैं,
दूजों  के ग़म  कम  करते हैं।
सत्-पथ चलते अच्छे बच्चे,
बन सकते तुम अच्छे बच्चे।
जाति-पाँति से  ऊपर उठकर,
मानव-सेवा  शिरोधार्य  कर।
सेवा  करते   अच्छे   बच्चे,
बन सकते तुम अच्छे बच्चे।
***
-आनन्द विश्वास

Saturday, 27 June 2020

"मेरा गुड्डा मस्त कलन्दर"

मेरा  गुड्डा  मस्त कलन्दर,
नाचे    ऐसे    जैसे   बन्दर।
उछल  कूद में ऐसा माहिर,
शैतानी उसकी जग जाहिर।
एक  बार बस  चाबी  भर दो,
फिर उसको धरती पर धर दो।
ऊपर   नीचे,   नीचे   ऊपर,
कभी नाचता सिर नीचे कर।
कभी  हाथ से  पैर पकड़ता,
कभी पैर पर नाक  रगड़ता।
पैरों  को सिर  पर  रख देता,
और हाथ के बल चल लेता।
प्यारा  गुड्डा  करतब  करता,
तरह-तरह की हरकत करता।
कसरत करता दण्ड पेलता,
हमें  खिलाता और खेलता।
त्राटक  करता,  योगा  करता,
और  बहुत से आसन करता।
    हरकत वह तबतक ही करता,
    जब तक चाबी का दम रहता।
और बाद में शव-आसन  कर,
शान्त  लेट  जाता  है  भू  पर।
जब-जब भी मैं चाबी भरता,
धमा-चौकड़ी तब ही करता।
                          ***
-आनन्द विश्वास

"मेरी गुड़िया छैल-छबीली"

मेरी    गुड़िया  छैल-छबीली,
जींस  पहनती   गहरी  नीली।
      ईलू-ईलू    बोले  सबको,
      प्यार बाँटती सारे जग को।
काला  चश्मा लाल  रुमाल,
और   सुनहरे   सुन्दर बाल।
      जैकिट है फर वाला लाल,
      शूज़ पहन कर करे कमाल।
आँखें   उसकी   नीली-नीली,
और  टॉप  है  हल्की  पीली।
      कभी खोलती आँखें अपनी,
      और कभी ढक लेती ढपनी।
मटक-मटककर आँख दिखाती,
और   कभी   आँखें   मटकाती।
   ठुमक-ठुमककर नाँच दिखाती
   सबके  मन को बड़ा लुभाती।
जब-जब उसका पेट दबाती,
सुन्दर-सुन्दर    गाने   गाती।
      मुझको प्यारी मेरी गुड़िया,
      मैं पापा की प्यारी गुड़िया।
गुड़िया मुझको प्यारी लगती,
मै  पापा  को  प्यारी लगती।
      प्यारा-प्यारा  जग  से न्यारा,
      सुखमय  है   संसार  हमारा।
             -आनन्द विश्वास