Monday, 22 June 2015

आओ, चन्दा मामा आओ

आओ, चन्दा मामा आओ
...आनन्द विश्वास
आओ  चन्दा  मामा  आओ,
एक बार तो घर पर आओ।
नानी वाली कथा  कहानी,
हमें  बताओ, हमें  सुनाओ।

बापू  का  चरखा  तो  देखा,
नानी का चरखा दिखलाओ।
कैसे   सूत  काततीं   नानी,
कते सूत का, झबला लाओ।

क्या खाते हो, क्या पीते हो,
हम बच्चों  को जरा  बताओ।
कभी किसी दिन साथ हमारे,
पीज़ा   खाओ,  बर्गर  खाओ।

अपने साथी  तारा-गण को,
एक बार तो, यहाँ  घुमाओ।
केवल रात तुम्हें क्यों भाती,
इसका  कारण  हमें बताओ।

या  फिर  रूँठ  गऐ  हो  हमसे,
मन भी जाओ, मान भी जाओ।
मम्मी हर दिन तुम्हें निहारे,
इस राखी पर आ भी जाओ। 

...आनन्द विश्वास

Thursday, 11 June 2015

"गरमागरम समोसे खाओ"

आओ बाबू, लाला आओ,
गरमागरम  समोसे   खाओ।
काजू किसमिश, मेवे वाला,
धनियाँ मटर  पुदीना डाला।
आलू  इसमें शिमले वाला,
डाला इसमें  गरम मसाला।
मीठी  चटनी  डली  हुई  है,
तीखी  मिर्ची  तली  हुई  है।
मस्त  कचौड़ी  काँदे  वाली,
खस्ता  और मसाले  वाली।
देशी घी  की आलू टिकिया,
मन भाए तो खाना बिटिया।
छोले    और  भटूरे   खाओ,
बड़ा-पॉव  है  खाते  जाओ।
और  जलेबी  गरम-गरम  है,
इसके  आगे  सभी  नरम  है।
इसे  दूध  में   डालो, खाओ,
चटकारे  भी   भरते  जाओ।
दही बड़े  खुद  आकर  देखो,
मन भाए  तो  खाकर  देखो।
देखो, इसकी  लाइन बड़ी है,
सारी  पब्लिक वहीं खड़ी है।
चटनी - पूरी,    पानी - पूरी,
बिन इसके  तो चाँट अधूरी।
आओ,अब कुछ ठंडा लेलें,
पंजाबी  लस्सी   को  बोलें।
या  ठंडी  कुल्फी  अजमाऐं,
और  बरफ  के  गोले खाऐं।
पेट आपका  जब  भर जाए,
नींबू  शर्बत  साथ  निभाए।
इडली,  ढोसा, पीज़ा, बर्गर,
पैक करा लो खाना घर पर।
-आनन्द विश्वास