मंकी और डंकी
...आनन्द विश्वास
डंकी के ऊपर चढ़ बैठा,
जम्प लगाकर मंकी, लाल।
ढेंचूँ
- ढेंचूँ करता डंकी,
उसका हाल
हुआ बेहाल।
पूँछ पकड़ता कभी खींचता,
कभी पकड़कर खींचे कान।
कैसी
अज़ब मुसीबत आई,
डंकी हुआ
बहुत हैरान।
बड़े जोर
से डंकी बोला,
ढेंचूँ -
ढेंचूँ , ढेंचूँ -
ढेंचूँ।
खों
- खों करके मंकी पूछे,
किसको
खेंचूँ, कितना खेंचूँ।
डंकी जी ने
सोची युक्ति,
लोट लगाकर जड़ी दुलत्ती,
खीं-खीं करता मंकी भागा,
टूट गई
उसकी बत्तीसी।
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